लखनऊ वॉश शैली को जीवंत रखने वाले राजीव मिश्रा का निधन, 40 वर्षों की चित्रकला साधना का हुआ अंत
लखनऊ: लखनऊ कार्यालय संवाददाता वरिष्ठ चित्रकार राजीव मिश्रा (64) का निधन कला क्षेत्र में शोक की लहर है. उनका निधन पी जी आई लखनऊ सोमवार देर शाम हुआ. मंगलवार को बैकुण्ठ धाम में किया गया. जहां बड़ी संख्या में कलाकार मौजूद रहे. राजीव मिश्रा 40 वर्ष निरंतर चित्रकला में तल्लीन रहे. पिछले तीन माह से वो 15 फीट लंबी तस्वीर पर काम भी कर रहे थे. वॉश विधा के सुप्रसिद्ध कलाकार राजीव मिश्र ने अपनी कला शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय से पूर्ण की और दूरदर्शन से सेवानिवृत्त हुए. वो महान चित्रकार कला गुरु बद्रीनाथ आर्य के प्रमुख शिष्यों में से एक रहे .
मूर्तिकार पाण्डेय राजीवनयन ने कहा कि शांतचित्त एवं सौम्य व्यक्तित्व के धनी राजीव जी अपनी निरंतर कलाकर्म एवं लखनऊ वॉश चित्रों की परंपरा के प्रमुख कलाकार थे. यद्यपि इन्होंने वाश तकनीक से इतर भी अनेकों चित्रों की रचना की है फिर भी लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश उन्हें लखनऊ की पारंपरिक वाश चित्रों के चित्रकार के रूप में विशेष रूप से जानता है. कलाकार भूपेन्द्र अस्थाना ने बताया कि राजीव मिश्रा से मेरी मुलाकात मेरे कला महाविद्यालय में छात्र समय से रही. लेकिन 2014 में कला स्रोत कला वीथिका के स्थापना के बाद उनके और नजदीकि बढ़ी. कला समीक्षक शहंशाह हुसैन ने कहा कि स्वर्गीय राजीव मिश्र एक ऐसे कलाकार थे जिनके स्वभाव, बोल चाल में अवध के लबों लहजे की झलक मिलती थी. स्वभाव से सभ्य और शालीन, मृदुभाषी और मिलनसार. कला इतिहासकार अखिलेश निगम ने कहा कि राजीव मिश्र का यूं अचानक चले जाना खासकर उत्तर प्रदेश के लिए अधिक दुखदाई है. क्योंकि राजीव प्रदेश के उन चंद कलाकारों में थे जो यहां की वाश पद्धति को जीवित रखने में प्रयासरत रहे हैं.
लेखक,कवि कौशल किशोर ने बताया कि पिछले तीन माह से वो 15 फीट लंबी तस्वीर पर काम कर रहे थे. हालांकि मिश्रा जी ने कई विधाओं और माध्यमों में काम किया जिसमें से वाश शैली भी शामिल है. उन्होंने मुद्राराक्षस का आदमकद चित्र बनाया था. उसे मुद्रा जी के 82 वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम 'मुद्राजी अपनों के बीच ' में मुद्रा जी को भेंट किया गया. कलाकार अभय द्विवेदी, कला समीक्षक सुमन सिंह, चित्रकार राजेंद्र प्रसाद, मिली पाण्डेय, कला समीक्षक जय त्रिपाठी समेत अन्य कलाकारों ने स्वर्गीय राजीव मिश्रा को श्रद्धांजलि दी. क्या होती है वॉश पद्धति वाश पद्धति चित्रकारी एक जलरंग चित्रकला तकनीक है जिसमें रंगों को पानी के साथ पतला करके पारदर्शी परतों में लगाया जाता है. यह पद्धति चित्र को हल्का, पारदर्शी और जीवंत प्रभाव देती है. कलाकार ब्रश और पानी का उपयोग करके रंगों को कागज पर फैलाते हैं, जिससे नरम रंग ढाल और सूक्ष्म विवरण बनते हैं. इस तकनीक में रंगों की परतें एक के ऊपर एक चढ़ाई जाती हैं, जिससे गहराई और आयाम प्राप्त होता है. वाश पद्धति का उपयोग विशेष रूप से परिदृश्य, प्रकृति और भावनात्मक चित्रण के लिए किया जाता है. यह तकनीक धैर्य और नियंत्रण की मांग करती है.